Tuesday, May 21, 2019

क्या इंदिरा गांधी ने वाजपेयी और आडवाणी को दे दी थी कांग्रेस की संसदीय सीट? - फ़ैक्ट चेक

इंडियन यूथ कांग्रेस की ऑनलाइन मैग्ज़ीन 'युवा संदेश' ने हाल ही में अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से एक ट्वीट किया जिसके अनुसार भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने अपने दो सांसदों को इस्तीफ़ा दिलवाकर अटल बिहारी वाजपेयी और लाल कृष्ण आडवाणी के लिए संसद में दो सीटें खाली करवाई थीं.
इस ट्वीट में लिखा गया कि "लोकतंत्र एक ऐसी व्यवस्था है जो कमज़ोर और मजबूत, दोनों तरह के लोगों को समान मौक़े देती है. जैसे इंदिरा गांधी ने आडवाणी और अटल बिहारी वाजपेयी को दिया था."
फ़ेसबुक पर कई बड़े ग्रुप्स में भी हमें ऐसे पोस्ट मिले जिनमें यही दावा किया गया है.
इनमें से एक पोस्ट में लिखा है कि "जब बीजेपी को लोकसभा में '0' सीट मिली थीं तब इंदिरा गांधी ने अपने 2 सांसदों से त्यागपत्र लेकर 1 सीट पर वाजपेयी और 1 सीट पर आडवाणी को दे दी थी."
इस वेबसाइट पर वही जवाब दिया गया है जो इंडियन यूथ कांग्रेस की ऑनलाइन मैग्ज़ीन 'युवा संदेश' ने अपने ट्वीट में लिखा है और इसे 11 हज़ार से ज़्यादा लोगों ने अब तक देखा है.
आधिकारिक रूप से भारतीय जनता पार्टी का गठन 6 अप्रैल 1980 को हुआ था यानी जनवरी 1980 में हुए लोकसभा चुनावों के कुछ महीने बाद.
क्तूबर 1984 में भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद बीजेपी ने अपना पहला चुनाव लड़ा था.
1984 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी को 404 सीटें मिली थीं और राजीव गांधी देश के प्रधानमंत्री बने थे.
भारतीय जनता पार्टी को इस चुनाव में सिर्फ़ दो सीटें मिली थीं. आधिकारिक तौर पर यही भारतीय जनता पार्टी का लोकसभा चुनाव में सबसे ख़राब प्रदर्शन रहा है.
इन दो सीटों में से एक सीट गुजरात के मेहसाणा में बीजेपी उम्मीदवार डॉक्टर एके पटेल ने जीती थी और दूसरी सीट जीती थी आंध्र प्रदेश के हनमकोंडा से बीजेपी नेता सीजे रेड्डी ने.
अटल बिहारी वाजपेयी ग्वालियर संसदीय सीट से 1984 का लोकसभा चुनाव हार गये थे, लेकिन तब इंदिरा गांधी का भी देहांत हो चुका था.
वहीं लाल कृष्ण आडवाणी 1970 से लेकर 1994 तक राज्य सभा के सांसद रहे.
ऐसे में कोई संभावना ही नहीं बनती जब इंदिरा गांधी ने बीजेपी के ख़राब प्रदर्शन के कारण वाजपेयी और आडवाणी के लिए कांग्रेस नेताओं से इस्तीफ़ा मांगा हो.
ऑनलाइन मैग्ज़ीन 'युवा संदेश' के दावे पर वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक रशीद किदवई ने बीबीसी से कहा, "ये बिल्कुल ग़लत ख़बर है. 1984 में जब इंदिरा गांधी की हत्या की गई तब तक कोई ऐसी राजनीतिक स्थिति नहीं बनी थी जब उन्होंने बीजेपी नेताओं के लिए कांग्रेस की सीटें खाली कराई हों."
वरिष्ठ पत्रकार विनोद शर्मा और लेखिका कुमकुम चड्ढा भी रशीद किदवई की इस बात से इत्तेफ़ाक रखते हैं.
विनोद शर्मा ने बीबीसी से कहा, "किसी मौजूदा सांसद से इस्तीफ़ा लेकर उस सीट को किसी अन्य पार्टी के नेता को दे देना कोई मज़ाक नहीं है. आप सीट छोड़ सकते हैं. लेकिन किसी अन्य नेता को उस सीट से सांसद बनने के लिए चुनावी मैदान में उतरना ही होगा."
हालांकि इस दौरान एग्ज़िट पोल के क़यास को जहां बीजेपी दावों की हक़ीकत बता रही है वहीं विपक्ष का कहना है कि एग्ज़िट पोल सिर्फ़ क़यास मात्र ही हैं.
इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अंतिम चरण का चुनाव प्रचार ख़त्म होने के बाद केदारनाथ पहुंचे थे. मौक़ा बुद्ध पूर्णिमा का था. जिसके बाद उनकी कई तस्वीरें वायरल हो गईं.
तस्वीर के वायरल होने की कई वजहें रहीं. एक ओर जहां विपक्ष ने कहा कि यह आचार संहिता का उल्लंघन है वहीं प्रधानमंत्री ने 17 घंटे बाद गुफ़ा से बाहर निकलते ही चुनाव आयोग को धन्यवाद कहा कि आयोग ने उन्हें एकांत में ध्यान लगाने का वक़्त दिया.
गढ़वाल मंडल विकास निगम के महाप्रबंधक बीएल राणा का कहना है कि इस बात में कोई शक़ ही नहीं है कि प्रधानमंत्री के यहां आने से यह जगह चर्चा में आ गई है और लोग इसके बारे में ज़्यादा से ज़्यादा जानना चाह रहे हैं.
गुफा की बढ़ी लोकप्रियता का अंदाज़ा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि गढ़वाल मण्डल विकास निगम ने इस गुफा की बुकिंग को फिलहाल के लिए रोक दिया है. उम्मीद जताई जा रही है कि जून के पहले महीने से एक बार फिर बुकिंग शुरू हो जाएगी.
लेकिन क्या ये वाकई एक गुफ़ा ही है या कुछ और...
गढ़वाल मण्डल विकास निगम की वेबसाइट पर इस गुफ़ा से जुड़ी जानकारियां मौजूद है. गुफा में रुकने के नियम और शर्तें पढ़कर लगता है कि हम किसी होटल के नियम-शर्त पढ़ रहे हैं.
यहां तक की वेबसाइट पर ख़ुद भी इसके लिए कई जगह होटल शब्द का इस्तेमाल किया है.
इस गुफा का नाम रूद्र ध्यान गुफा है.
गढ़वाल मण्डल विकास निगम के अंतर्गत आने वाली यह गुफा केदारनाथ धाम पहाड़ियों से क़रीब एक किलोमीटर ऊपर है. (केदारनाथ मंदिर समुद्रतल से क़रीब 11,500 फ़ीट की ऊंचाई पर है).
इस गुफा का मुंह केदारनाथ मंदिर की ओर खुलता है. इस प्राकृतिक गुफा के बाहरी हिस्से को स्थानीय पत्थरों से तैयार किया गया है और गुफा के मु हैख्य द्वार पर सुरक्षा के लिए लकड़ी का दरवाज़ा लगा हुआ.

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